अधूरी मोहब्बत का अधूरा फ़साना हो तुम
या अधूरे अल्फाजों की किताब हो तुम
या फिर अध लिखे खतों की ताबीर हो तुम
जो कोई भी हो तुम
पर मेरे लबों की खोई मुस्कान हो तुम
जुगनू सी चमकती, तारों से टिमटिमाती रातों में
चाँद की फरमाईस हो तुम
या तेरी धुन पर थिरकती कायनात की कोई कहानी हो तुम
जो कोई भी हो तुम
पर मेरे एक तरफ़ा इश्क़ की निशानी हो तुम
दरख्तों पर उकेरी कोई अधूरी चित्रकारी हो तुम
या मंदिर मस्जिद में लिखी कोई इबादत हो तुम
जो कोई भी तुम
पर मेरे बदनाम इश्क़ की रूठी जुबानी हो तुम
पर मेरे बदनाम इश्क़ की रूठी जुबानी हो तुम
या अधूरे अल्फाजों की किताब हो तुम
या फिर अध लिखे खतों की ताबीर हो तुम
जो कोई भी हो तुम
पर मेरे लबों की खोई मुस्कान हो तुम
जुगनू सी चमकती, तारों से टिमटिमाती रातों में
चाँद की फरमाईस हो तुम
या तेरी धुन पर थिरकती कायनात की कोई कहानी हो तुम
जो कोई भी हो तुम
पर मेरे एक तरफ़ा इश्क़ की निशानी हो तुम
दरख्तों पर उकेरी कोई अधूरी चित्रकारी हो तुम
या मंदिर मस्जिद में लिखी कोई इबादत हो तुम
जो कोई भी तुम
पर मेरे बदनाम इश्क़ की रूठी जुबानी हो तुम
पर मेरे बदनाम इश्क़ की रूठी जुबानी हो तुम
आदरणीय शास्त्री जी
ReplyDeleteमेरी रचना को अपने मंच पर स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार
सादर
मनोज क्याल
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(18-7-21) को "प्रीत की होती सजा कुछ और है" (चर्चा अंक- 4129) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
--
कामिनी सिन्हा
बेहतरीन नज़्म
ReplyDeleteअति सुंदर
ReplyDeleteदरख्तों पर उकेरी कोई अधूरी चित्रकारी हो तुम
ReplyDeleteया मंदिर मस्जिद में लिखी कोई इबादत हो तुम
जो कोई भी तुम
पर मेरे बदनाम इश्क़ की रूठी जुबानी हो तुम
वाह!!!
बहुत सुन्दर।
बहुत सुंदर सृजन
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