बादलों ने छेड़ी ऐसी मधुर तान
बरस आए मेघा सुर और ताल
उमड़ घुमड़ घटाएँ घनघोर
मिला रही नृत्य पद्चाप
कही सप्तरंगी इंद्रधनुषी छटाएँ
कही थिरक रहे बिजली के तार
आनंद उन्माद शिखर
बरस रहे बादलों के अंदाज़
हो मेघों की सरगम पे सवार
फिज़ा भी चल पड़ी मदमाती चाल
मेघों की इस राग में
कुदरत ने ले लिया एक नया अवतार
बरस रही मेघा
सज रहे सुर और ताल
बरस आए मेघा सुर और ताल
उमड़ घुमड़ घटाएँ घनघोर
मिला रही नृत्य पद्चाप
कही सप्तरंगी इंद्रधनुषी छटाएँ
कही थिरक रहे बिजली के तार
आनंद उन्माद शिखर
बरस रहे बादलों के अंदाज़
हो मेघों की सरगम पे सवार
फिज़ा भी चल पड़ी मदमाती चाल
मेघों की इस राग में
कुदरत ने ले लिया एक नया अवतार
बरस रही मेघा
सज रहे सुर और ताल
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (06-05-2019) को "आग बरसती आसमान से" (चर्चा अंक-3327) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'