तूने दिल में छुपा ली दिल की बात
कैसे खोलूँ रिश्तों की उलझी गाँठ
क्यों ना हम अब उगले दिलों के राज
बच जाए शायद टूटने से रिश्तों के तार
नाज़ुक धागों से अटकी हैं इन साँसों की जान
शीशें सी कही चटक ना जाए यह चाल
पिरोई नहीं जाती रिश्तों में कोई गाँठ
कैसे बंधी कैसे पड़ी भूल इसे रात की गात
दिलों के इस सफर में
क्यों ना बैठे हम तुम दोनों मिलके आज
खोल दिलों से दिलों के हर राज
भर दे रिश्तों में पड़ी अनचाही दरार
कैसे खोलूँ रिश्तों की उलझी गाँठ
क्यों ना हम अब उगले दिलों के राज
बच जाए शायद टूटने से रिश्तों के तार
नाज़ुक धागों से अटकी हैं इन साँसों की जान
शीशें सी कही चटक ना जाए यह चाल
पिरोई नहीं जाती रिश्तों में कोई गाँठ
कैसे बंधी कैसे पड़ी भूल इसे रात की गात
दिलों के इस सफर में
क्यों ना बैठे हम तुम दोनों मिलके आज
खोल दिलों से दिलों के हर राज
भर दे रिश्तों में पड़ी अनचाही दरार