Sunday, April 7, 2019

पाणिग्रह

लिख लाया मैं अपने वो अल्फ़ाज़

मिला ना जिन्हें इन लबों का साथ

अहसास तुम भी कर लो

छू इस ख़त को अपने हाथ

नयनों में तेरे कैद हैं

मेरे दीवाने दिल के हर अरमान

महक़ तेरे यौवन की

मदमाती लहराती जुल्फों की

छेड़ गयी इस दिल के तार

आओं कर ले अब एक दूजे को अंगीकार

और जीवन भर के लिए

जुड़ जाये पाणिग्रह संस्कार

जुड़ जाये पाणिग्रह संस्कार

No comments:

Post a Comment