धैर्य रख धीरज धर
आँसुओं की बग़ावत में
नयनों को शामिल मत कर
गुजर जायेगा यह पल भी
बस तम में उजाले की प्रार्थना कर
तुम जैसे विरलों की कैसी यह रुन्दन पुकार हैं
अश्क तो कमजोरों की पहचान हैं
चाहें जितने भी चले जुबाँ के बाण
हावी मत होने दो तुम अपने जज़्बात
एक पल के लिए विवेक को बना लो
अपने समर का हथियार
जीत जाओगें रण के हर मैदान
बग़ावत कर विद्रोह कर अपने जज्बातों के ख़िलाफ़
अपने जज्बातों के ख़िलाफ़
आँसुओं की बग़ावत में
नयनों को शामिल मत कर
गुजर जायेगा यह पल भी
बस तम में उजाले की प्रार्थना कर
तुम जैसे विरलों की कैसी यह रुन्दन पुकार हैं
अश्क तो कमजोरों की पहचान हैं
चाहें जितने भी चले जुबाँ के बाण
हावी मत होने दो तुम अपने जज़्बात
एक पल के लिए विवेक को बना लो
अपने समर का हथियार
जीत जाओगें रण के हर मैदान
बग़ावत कर विद्रोह कर अपने जज्बातों के ख़िलाफ़
अपने जज्बातों के ख़िलाफ़
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