Monday, April 1, 2019

अकेला

तन्हा हूँ पर अकेला नहीं हूँ

तेरी यादों में आज भी जिन्दा हूँ

राहे माना हमारी जुदा थी

दो कदम पर जो साथ चले

कस्ती वो मझधारों की मारी थी

लकीरें क़िस्मत भी दगा कर गयी

थमा तेरे आँचल की डोर

रूह मेरी मुझसे चुरा ले गयी

लहू अस्कों का हिना बन

जैसे दुल्हन हाथों सज आयी

और डोली संग संग अर्थी रिश्तों की सज आयी

फ़िर भी यादें तेरी इस दिल में दफ़न ना कर पायी

अनजाने में ही सही ओर जिन्दा रहने को

तन्हाई के लिए एक मौसिक़ी नजरानें में दे आयी

एक मौसिक़ी नजरानें में दे आयी

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