Tuesday, April 16, 2019

खामोश लब

ख़ामोशियों को मैंने नए अंदाज़ दे दिए

लफ्ज़ जो जुबाँ पे आ ना पाए

उन्हें नए मुक़ाम दे दिए

दिलचस्प हो गयी इशारों की बात

भाषा की जगह आ गए दिलों के मुक़ाम

मौन लफ्जों के ज़िक्र में

बस गयी दिलों के रूहों की किताब 

कुछ लफ्ज़ फ़लसफ़ों से 

कुछ बंद लिफाफों से निकल

जोड़ आये दिलों से दिलों के तार

बेफिक्र इशारों की मन मर्जियाँ

हटा रुख से नक़ाब 

खामोश लबों से क़त्ल कर आयी सरेआम

क़त्ल कर आयी सरेआम

Tuesday, April 9, 2019

सारांश

संक्षेप में वृत्तांत सुनाऊ

सार का सारांश बतलाऊ

परिदृश्य कोई भी हो

किनारा भूमिका मंडित कर

मूल आलेख जागृत कर पाऊ

आक्षेप कोई लगे ना दामन

रचना सहज वर्णन कर पाऊ

ताम्रपत्रों पर गूँथ शब्दों को

लेखनी अमर कर पाऊ

सृजन कर भाव भंगिमा

पटककथा व्यक्त कर पाऊ

सिद्धांत अभिव्यक्त मंच पटल

प्रेरणा स्त्रोत्र प्रदान कर पाऊ

सुगम सरल परिभाषा में

गुड़ सार पूर्णतः बयां कर पाऊ

ख्वाईश है कोशिश सफल कर

चाँद सितारों में शुमार हो जाऊ   

Sunday, April 7, 2019

तन्हाईयाँ

कभी अपनी तन्हाईयों में

हमें याद करना तुम

गल मिल रोयेंगे दोनों खूब

उदासी के उस आलम में

दिल की किताब खोले रखना तुम

लहू से रंगें अक्षरों में

सूखे गुलाब तलाशेंगे हम तुम

अनमोल हो जायेंगे यादों के हर सबब

मिलेंगे जब दो बिछड़े हमसफ़र

ना तुम कुछ कहना ना मैं कुछ कहूँगा

इस इंतज़ार को सिर्फ आँखों से बयाँ करेंगे हम तुम

टूटे हुए अरमानों को

हर अहसासों में जिन्दा रखेंगे हम तुम

वादा बस इतना करो तुम

अपनी तन्हाईयों में हमसे मिला करोगे तुम

हमसे मिला करोगे तुम   

पाणिग्रह

लिख लाया मैं अपने वो अल्फ़ाज़

मिला ना जिन्हें इन लबों का साथ

अहसास तुम भी कर लो

छू इस ख़त को अपने हाथ

नयनों में तेरे कैद हैं

मेरे दीवाने दिल के हर अरमान

महक़ तेरे यौवन की

मदमाती लहराती जुल्फों की

छेड़ गयी इस दिल के तार

आओं कर ले अब एक दूजे को अंगीकार

और जीवन भर के लिए

जुड़ जाये पाणिग्रह संस्कार

जुड़ जाये पाणिग्रह संस्कार

बग़ावत

धैर्य रख धीरज धर

आँसुओं की बग़ावत में

नयनों को शामिल मत कर

गुजर जायेगा यह पल भी

बस तम में उजाले की प्रार्थना कर

तुम जैसे विरलों की कैसी यह रुन्दन पुकार हैं

अश्क तो कमजोरों की पहचान हैं

चाहें जितने भी चले जुबाँ के बाण

हावी मत होने दो तुम अपने जज़्बात

एक पल के लिए विवेक को बना लो

अपने समर का हथियार

जीत जाओगें रण के हर मैदान

बग़ावत कर विद्रोह कर अपने जज्बातों के ख़िलाफ़

अपने जज्बातों के ख़िलाफ़   

गुमराह

गुमराह हो गयी राहें ख़फ़ा हो मुझसे

बीच चौराहें खड़ा रहा मग्न अपनी धुन में

ठहर गयी मंज़िलें ग़ुम हो गए रास्तें

अम्बर नीला धरा सुनहरी

ख़ोज रहा दिल मरुधर में मोती

भूल गया सागर बीच मिले हैं मोती

मन चिंतन भटक रहा गली गली

कभी चले दो कोश कभी पकड़े पगडंडी

कैसी यह विडम्बना कैसी यह पहेली

सिर्फ़ चाँदनी लग रही सखी सहेली सी

मूँद आँखे खोल दिल के छोर

गणना करने लगे मन चितचोर

किस राह पकड़ूँ मिल जाये क्षितिज का मोड़

छू लूँ अम्बर चूम लूँ पर्वत शिखर

निकाल लूँ मरुधर के सिप्पों से भी मोती

मिल जाये राहें अगर फ़िर वो अनोखी

गुमराह हो गयी थी जो कर मन चोरी  

Monday, April 1, 2019

अकेला

तन्हा हूँ पर अकेला नहीं हूँ

तेरी यादों में आज भी जिन्दा हूँ

राहे माना हमारी जुदा थी

दो कदम पर जो साथ चले

कस्ती वो मझधारों की मारी थी

लकीरें क़िस्मत भी दगा कर गयी

थमा तेरे आँचल की डोर

रूह मेरी मुझसे चुरा ले गयी

लहू अस्कों का हिना बन

जैसे दुल्हन हाथों सज आयी

और डोली संग संग अर्थी रिश्तों की सज आयी

फ़िर भी यादें तेरी इस दिल में दफ़न ना कर पायी

अनजाने में ही सही ओर जिन्दा रहने को

तन्हाई के लिए एक मौसिक़ी नजरानें में दे आयी

एक मौसिक़ी नजरानें में दे आयी

कुँजी

जज्बातों की ताबीर

अनछुए पहलुओं से टकरा गयी

खनखनाहट इसकी हौले से

कानों में कुछ गुनगुना गयी

एक नए तिल्सिम का पिटारा खोल

रंगीन जादुई दुनिया बसा गयी

सपनों के इस संसार ने

रातों की नींद भुला दी

और संग अपने जीने

कुँजी जज्बातों की थमा दी

भूली बिसरी यादों को आयाम नया दे

जज्बातों की ताबीर

जिंदगी जीने का सलीक़ा सीखा गयी

जिंदगी जीने का सलीक़ा सीखा गयी

  

आपके नाम

खूबसूरत सी नज़्म लिखूँ

या इस दिल की ग़ज़ल लिखूँ

आपकी कातिलाना निग़ाहों को

झीलों का हसीन शहर लिखूँ

धड़कनों पे दिल के पैगाम लिखूँ

एक नयी साज़ एक नयी धुन पे

आफ़ताब की एक नयी सरगम लिखूँ

दामन में आपके अपना नाम लिखूँ

गीत लिखूँ या सफ़र लिखूँ

माथे की बिंदिया को मेहताब लिखूँ

रूहों के मिलन को ताज़ का पैयाम लिखूँ

कुछ भी लिखूँ चाहे गीत हो या ग़ज़ल

दिल कह रहा हैं

दिल यह बस आपके नाम लिखूँ

दिल यह बस आपके नाम लिखूँ