लेखनी दर्द की ताबीर बन गयी
अर्थहीन भावनावों की जागीर बन गयी
किस करवट पलटू पन्नों को
किताब अश्कों से भारी हो गयी
जुदा रूह से जो साँसे हुई
हर पन्ने बदरंगी जुबानी हो गयी
रक्त के कतरे से लिखी सजी कहानी
गुमनामी की गलियों में खो गयी
हौले हौले चलती लेखनी कुछ ऐसा लिख गयी
मयखानों से दिलों का नाता जोड़ गयी
दर्द जहाँ अल्फाजों में सज
महफ़िल की शान बन गयी
लेखनी दर्द की ताबीर बन गयी
अर्थहीन भावनावों की जागीर बन गयी
अर्थहीन भावनावों की जागीर बन गयी
किस करवट पलटू पन्नों को
किताब अश्कों से भारी हो गयी
जुदा रूह से जो साँसे हुई
हर पन्ने बदरंगी जुबानी हो गयी
रक्त के कतरे से लिखी सजी कहानी
गुमनामी की गलियों में खो गयी
हौले हौले चलती लेखनी कुछ ऐसा लिख गयी
मयखानों से दिलों का नाता जोड़ गयी
दर्द जहाँ अल्फाजों में सज
महफ़िल की शान बन गयी
लेखनी दर्द की ताबीर बन गयी
अर्थहीन भावनावों की जागीर बन गयी
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 07.03.2019 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3267 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद