हर लम्हा लम्हा मुस्कराता रहा
ख़ुद में ख़ुद को तलाशता रहा
अनजाना था बेगाना था खुद से
मुस्कान में दर्द छिपता रहा
मिल जाए कोई पहचान शायद
इस दर्द को पढ़ ले कोई आकर
छू ले कोई अज़नबी यह अहसास
और जोड़ दे टूटे दिलों के तार
मिल जाए इसे किसी किनारे का साथ
कब तलक जिन्दा रह पाऊँगा
रूह बदलती अज़नबी साँसों के साथ
बह ना जाए खो ना जाए
भावनाओं के सैलाब में
इन मर्मस्पर्शी मुस्कानों के अहसास
उड़ ना जाए रँगत कहीं इसकी
रखना हैं इन ख्यालों को बरक़रार
बस इसलिए सजी रहे मायूस चेहरे पर भी
हर पल दिल को छू लेने वाली मुस्कान
ख़ुद में ख़ुद को तलाशता रहा
अनजाना था बेगाना था खुद से
मुस्कान में दर्द छिपता रहा
मिल जाए कोई पहचान शायद
इस दर्द को पढ़ ले कोई आकर
छू ले कोई अज़नबी यह अहसास
और जोड़ दे टूटे दिलों के तार
मिल जाए इसे किसी किनारे का साथ
कब तलक जिन्दा रह पाऊँगा
रूह बदलती अज़नबी साँसों के साथ
बह ना जाए खो ना जाए
भावनाओं के सैलाब में
इन मर्मस्पर्शी मुस्कानों के अहसास
उड़ ना जाए रँगत कहीं इसकी
रखना हैं इन ख्यालों को बरक़रार
बस इसलिए सजी रहे मायूस चेहरे पर भी
हर पल दिल को छू लेने वाली मुस्कान
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (13-02-2019) को "आलिंगन उपहार" (चर्चा अंक-3246) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'