चिनारों की दरख़तों से फ़िज़ा लौट आयी
इबादत की मीनारों से रूह लौट आयी
सलवटें पड़ गयी रिश्तों की गलियारों में
भूल जो मेरे वजूद का क़िरदार
ढूँढती फिरी आसमां में महताब
लकीरें थी हाथों में मगर
क़िस्मत नहीं थी चाँद सितारों सी पास
नम थी दिल की जमीं पलकें थी भीगीं भीगीं
पर वो ना थी कही आस पास
छुपी थी जैसे बादलों के पार
ख्यालों की भीड़ में खो गयी अरमानों की दास्ताँ
आरज़ू उल्फ़त सनाट्टा बन छा गई दिल के आस पास
ना कोई ख्वाईशें ना कोई तरंगें छेड़ रही अब दिल के तार
बेज़ार हो उठी ख़ुद से ख़ुद के दिल की बात
उलझ रह गए बस रिश्तों के तार
सवालों के पहाड़ों में ढूँढता फिरा मैं अपना क़िरदार
टूटे दिलों में जगा ना पाया उन अहसासों के जज़्बात
बस टटोलता फिरा दिलों में दिल की बात, दिल की बात
इबादत की मीनारों से रूह लौट आयी
सलवटें पड़ गयी रिश्तों की गलियारों में
भूल जो मेरे वजूद का क़िरदार
ढूँढती फिरी आसमां में महताब
लकीरें थी हाथों में मगर
क़िस्मत नहीं थी चाँद सितारों सी पास
नम थी दिल की जमीं पलकें थी भीगीं भीगीं
पर वो ना थी कही आस पास
छुपी थी जैसे बादलों के पार
ख्यालों की भीड़ में खो गयी अरमानों की दास्ताँ
आरज़ू उल्फ़त सनाट्टा बन छा गई दिल के आस पास
ना कोई ख्वाईशें ना कोई तरंगें छेड़ रही अब दिल के तार
बेज़ार हो उठी ख़ुद से ख़ुद के दिल की बात
उलझ रह गए बस रिश्तों के तार
सवालों के पहाड़ों में ढूँढता फिरा मैं अपना क़िरदार
टूटे दिलों में जगा ना पाया उन अहसासों के जज़्बात
बस टटोलता फिरा दिलों में दिल की बात, दिल की बात