कुछ यादें नयी सुहानी
कुछ यादें पुरानी कहानी
सहेज लूँ
किताब बना लूँ
खोलू जब यादों की अलमारी
छलक आये नयना
बिखरने लगे यादें जुबानी
रंगों की बरसात में
महक उठे बगीया सारी
सँजोयी हुई वो यादें
कुछ नादानी कुछ आपबीती
कुछ मधुर गीतों से
कुछ बेसुरे तानों से सजी
खोलू फ़िर वो हृदय राज
गूँज उठे यादों की अलमारी
गूँज उठे यादों की अलमारी
कुछ यादें पुरानी कहानी
सहेज लूँ
किताब बना लूँ
खोलू जब यादों की अलमारी
छलक आये नयना
बिखरने लगे यादें जुबानी
रंगों की बरसात में
महक उठे बगीया सारी
सँजोयी हुई वो यादें
कुछ नादानी कुछ आपबीती
कुछ मधुर गीतों से
कुछ बेसुरे तानों से सजी
खोलू फ़िर वो हृदय राज
गूँज उठे यादों की अलमारी
गूँज उठे यादों की अलमारी
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (26-12-2018) को "यीशु, अटल जी एंड मालवीय जी" (चर्चा अंक-3197) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'