Thursday, November 8, 2018

तस्वीर

तस्वीर तेरी धुँधली हो गयी

या मेरे आँखों की रोशनी मंद हो गयी

छूट गयी यारी जो तेरी गलियों से

दूर हो गयी नजरें मेरी तेरी चाहतों से

बिन सप्तरंगी रंगों के आँगन में

खोये हुए ख्यालों की चादर में

हल्की हल्की मध्यम रोशनी के सायों में

जलते बुझते चाहतों के अँगारों में

आँख मिचौली खेल रही तस्वीर तेरी

मेरी बोझिल होती आँखों से

टूट ना जाये तस्वीरों का यह बंधन

टटोली फिर यादों की अलमारी

शायद मिल जाए रोशनी की कोई किरण

छट जाए धुंध पड़ी जो बनते बिगड़ते रिश्तों पर

निखर साफ़ हो आये तस्वीर पुनः

ओझल होती इन पलकों में