हर मिथ्या भी एक सत्य हैं
जाने किसके पीछे क्या रहस्य हैं
हर तरफ फ़ैला हुआ एक भ्रम हैं
पिरोया हुआ जिसमें एक कटु सत्य हैं
धूल पड़ी हो दर्पण पर जहाँ
असत्य ही वहाँ सत्य का आईना हैं
जमघट लगा हो झूठों का जहाँ
उड़ती हैं अफवाहें रोज नयी नयी वहाँ
सत्य असत्य की इस हलचल में
सत्य का यहाँ कोई मौल नहीं
फ़र्क करें तो करें कैसे
मिथ्या भँवर का इस युग में कोई तोड़ नहीं
इस युग में कोई तोड़ नहीं
जाने किसके पीछे क्या रहस्य हैं
हर तरफ फ़ैला हुआ एक भ्रम हैं
पिरोया हुआ जिसमें एक कटु सत्य हैं
धूल पड़ी हो दर्पण पर जहाँ
असत्य ही वहाँ सत्य का आईना हैं
जमघट लगा हो झूठों का जहाँ
उड़ती हैं अफवाहें रोज नयी नयी वहाँ
सत्य असत्य की इस हलचल में
सत्य का यहाँ कोई मौल नहीं
फ़र्क करें तो करें कैसे
मिथ्या भँवर का इस युग में कोई तोड़ नहीं
इस युग में कोई तोड़ नहीं