कितनी रूमानी यह रात हैं
सितारों से सजी बारात हैं
मिलन का खूबसूरत आगाज हैं
चाँदनी दे रही यह पैगाम हैं
दो रूहों की यह सुहानी रात हैं
थम जाए यह पहर
मंद हो जाए चाँद का आफताब
निहारुँ अपनी प्रेयसी की
हिरणी सी मदमाती चाल
झीलों सी सुन्दर आँख
पहलु में उसके गुजर जाए हर यह रात
यूँही मिलती रहे सदा
उसके दामन में
खुले केशवों की छाँव
खुले केशवों की छाँव
सितारों से सजी बारात हैं
मिलन का खूबसूरत आगाज हैं
चाँदनी दे रही यह पैगाम हैं
दो रूहों की यह सुहानी रात हैं
थम जाए यह पहर
मंद हो जाए चाँद का आफताब
निहारुँ अपनी प्रेयसी की
हिरणी सी मदमाती चाल
झीलों सी सुन्दर आँख
पहलु में उसके गुजर जाए हर यह रात
यूँही मिलती रहे सदा
उसके दामन में
खुले केशवों की छाँव
खुले केशवों की छाँव
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (22-08-2018) को "नेता बन जाओगे प्यारे" (चर्चा अंक-3071) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह।
ReplyDeleteHow romantic..!