कारवाँ वो ठहर सा गया था
निकला था जो मुक़ाम की राह
अनजाने मोड़ पर ठिठक गया था
कुछ रहस्यमयी किरणों का उजाला सा था
खड़ा था कोई अनजाना उस मुक़ाम पे
व्याकुल था जो मुझमें समा जाने को
सम्मोहित सा हो गया मन बाबरा था
भटक मंजिल की राहों से
अनजानी प्रीत के इस सम्मोहन में
जिंदगी अपनी लूटा जाने को बेक़रार था
तिल्सिम का रहस्य भरा यह पिटारा था
ख़जाना संगीत का लुटा रहा था
इससे आगे अब मंजिल का निशा ना था
इसके जादू में मन बाबरा हो भटक रह था
मन बाबरा हो भटक रह था
निकला था जो मुक़ाम की राह
अनजाने मोड़ पर ठिठक गया था
कुछ रहस्यमयी किरणों का उजाला सा था
खड़ा था कोई अनजाना उस मुक़ाम पे
व्याकुल था जो मुझमें समा जाने को
सम्मोहित सा हो गया मन बाबरा था
भटक मंजिल की राहों से
अनजानी प्रीत के इस सम्मोहन में
जिंदगी अपनी लूटा जाने को बेक़रार था
तिल्सिम का रहस्य भरा यह पिटारा था
ख़जाना संगीत का लुटा रहा था
इससे आगे अब मंजिल का निशा ना था
इसके जादू में मन बाबरा हो भटक रह था
मन बाबरा हो भटक रह था
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