बरबस ही आंखें छलक आती हैं
याद उनकी जब जब आती हैं
दरख्तों से टूटते पतों सी
कुछ इनकी भी जुबानी हैं
कभी चिनारों पे लहराती
कभी साहिल के मौजों से टकराती
हर याद उनकी रूमानी हैं
बातों की हर अदाओं में रागिनी
मेघों में लहराती जैसे चाँदनी हैं
हर फ़लसफ़ों में एक नयी बयानी हैं
माना बातें उनकी ऐ पुरानी हैं
फिर भी लगती नई नवेली सी हैं
खुदा से फ़रियाद बस यही हमारी हैं
सदा जिन्दा रहे वो इस रूह में
क्या हुआ जो आँखों में पानी ही पानी हैं
क्या हुआ जो आँखों में पानी ही पानी हैं
याद उनकी जब जब आती हैं
दरख्तों से टूटते पतों सी
कुछ इनकी भी जुबानी हैं
कभी चिनारों पे लहराती
कभी साहिल के मौजों से टकराती
हर याद उनकी रूमानी हैं
बातों की हर अदाओं में रागिनी
मेघों में लहराती जैसे चाँदनी हैं
हर फ़लसफ़ों में एक नयी बयानी हैं
माना बातें उनकी ऐ पुरानी हैं
फिर भी लगती नई नवेली सी हैं
खुदा से फ़रियाद बस यही हमारी हैं
सदा जिन्दा रहे वो इस रूह में
क्या हुआ जो आँखों में पानी ही पानी हैं
क्या हुआ जो आँखों में पानी ही पानी हैं
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