Friday, August 10, 2018

किस्मत

उम्र पीछे छूट गयी

रफ़्तार जिंदगी की

बचपन चुरा ले गयी

वो आसमानी छटा

वो सावन की घटा

बस यादें पुरानी

दिल की किताबों में सिमट रह गयी

सपनों की वो मंज़िल

चाँद सितारों सी हो गयी

कभी पास तो कभी दूर

मानों हाथों की लकीरों से

सपनों की ताबीर दूर हो गयी

नीलाम हो गयी वो मासूमियत भी 

छलकती थी लड़कपन में जिनके

शरारतों भरी छटपटाहट

छोड़ उम्र की उस दहलीज को

विदा हो गयी रूह

बदल किस्मत की लकीरों को


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