यकीन खुद पर इतना रख
देख तेरे बुलंद हौसलें को
डर खुद अपने आप से इतना डर जाये
फ़िर कभी ख़ाब में भी डराने तुझे पास ना आये
याद रख इतना इस संसार में
कमजोरों की कोई पहचान नहीं
लक्ष्य से भटकों का कोई मुक़ाम नहीं
हारी बाज़ी जो जीत में पलट दे
उससे बड़कर कोई पहचान नहीं
जिंदगी के इस रण में
निराशा का कोई मुकाम नहीं
यकीन अगर खुद पर हो तो
सौ सौ चक्रव्यूह भेदना भी नामुमकिन सवाल नहीं
इसीलिए
खुद के भरोसे से ऊपर भगवान भी विराजमान नहीं
देख तेरे बुलंद हौसलें को
डर खुद अपने आप से इतना डर जाये
फ़िर कभी ख़ाब में भी डराने तुझे पास ना आये
याद रख इतना इस संसार में
कमजोरों की कोई पहचान नहीं
लक्ष्य से भटकों का कोई मुक़ाम नहीं
हारी बाज़ी जो जीत में पलट दे
उससे बड़कर कोई पहचान नहीं
जिंदगी के इस रण में
निराशा का कोई मुकाम नहीं
यकीन अगर खुद पर हो तो
सौ सौ चक्रव्यूह भेदना भी नामुमकिन सवाल नहीं
इसीलिए
खुद के भरोसे से ऊपर भगवान भी विराजमान नहीं
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (17-07-2018) को "हरेला उत्तराखण्ड का प्रमुख त्यौहार" (चर्चा अंक-3035) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'