Saturday, June 9, 2018

तन्हाइयों के पैगाम

ऐ शाम क्यों तुम तन्हाइयों के पैगाम लाती हो

ना सितारों की बारात ना चन्दा का साथ

फ़िर क्यों करवटों में सपने सँजोती हो

दिन ठहरता नहीं रात गुजरती नहीं

क्यों फ़िर तुम इन अधखुली पलकों को जगाती हो

कर्जदार बना मुझे नींदों का

सौदागिरी क्यों अपने सपनों की दिखलाती हो

ख्वाईसों के कुछ अंश जो अभी बाकी हैं

इशारों ही इशारों में

बेपर्दा क्यों तुम उन्हें कर जाती हो

महरूम कर मुझे अपने आप से

ढ़लते पहर के साथ निन्दियाँ क्यों तुम चुरा ले जाती हो

ऐ शाम क्यों तुम तन्हाइयों के पैगाम लाती हो

तन्हाइयों के पैगाम लाती हो








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