Wednesday, June 20, 2018

लिबास

रूह ने मेरी लिबास बदल लिया

सौगात मोहब्बत की क्या मिली

दिल को तेरे अपना आशियाना बना लिया

मशरूफ़ थी जो जिंदगी

कभी अपने आप में

आज तारुफ़ को तेरी

अपने जीने को सहारा बना लिया

सच कहुँ तो

अजनबी हो गया हूँ अपने आप से

ख़ुदा जब से तुम्हें मान लिया

बदल गयी जिंदगानी मेरी

रूह ने मेरी लिबास जब से तेरा ओढ़ लिया

लिबास जब से तेरा ओढ़ लिया  

4 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 21.06.18 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3008 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

    ReplyDelete
  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २२ जून २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    ReplyDelete
  3. Wonderful Manoj bhai!
    Keep it up !

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर....

    ReplyDelete