रूह ने मेरी लिबास बदल लिया
सौगात मोहब्बत की क्या मिली
दिल को तेरे अपना आशियाना बना लिया
मशरूफ़ थी जो जिंदगी
कभी अपने आप में
आज तारुफ़ को तेरी
अपने जीने को सहारा बना लिया
सच कहुँ तो
अजनबी हो गया हूँ अपने आप से
ख़ुदा जब से तुम्हें मान लिया
बदल गयी जिंदगानी मेरी
रूह ने मेरी लिबास जब से तेरा ओढ़ लिया
लिबास जब से तेरा ओढ़ लिया
सौगात मोहब्बत की क्या मिली
दिल को तेरे अपना आशियाना बना लिया
मशरूफ़ थी जो जिंदगी
कभी अपने आप में
आज तारुफ़ को तेरी
अपने जीने को सहारा बना लिया
सच कहुँ तो
अजनबी हो गया हूँ अपने आप से
ख़ुदा जब से तुम्हें मान लिया
बदल गयी जिंदगानी मेरी
रूह ने मेरी लिबास जब से तेरा ओढ़ लिया
लिबास जब से तेरा ओढ़ लिया