तेरे हाथों जब जब छला जाता हूँ
सोओं बार टूट टूट बिखर जाता हूँ
पलट कर फ़िर जब दर्पण निहारता हूँ
एक गुमनाम शख्शियत से रूबरू पाता हूँ
मिन्नतें फरियादें घायल दिल की
वो भी जब तुम अनसुनी कर देती हो
धड़कने फिर रूह से जुदा हो जाती हैं
और साँसों की डोर से जीने की तम्मना
अलविदा कह रुखसत हो जाती हैं
अलविदा कह रुखसत हो जाती हैं
सोओं बार टूट टूट बिखर जाता हूँ
पलट कर फ़िर जब दर्पण निहारता हूँ
एक गुमनाम शख्शियत से रूबरू पाता हूँ
मिन्नतें फरियादें घायल दिल की
वो भी जब तुम अनसुनी कर देती हो
धड़कने फिर रूह से जुदा हो जाती हैं
और साँसों की डोर से जीने की तम्मना
अलविदा कह रुखसत हो जाती हैं
अलविदा कह रुखसत हो जाती हैं
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