ऐ हमसफ़र तेरे नवाजिश कर्म की ही मेहरबानियाँ हैं
धड़कने आज भी तेरे साँसों की कर्जदारियाँ हैं
फ़िदा जो यह दिल कभी हो गया था
उस गुलाब का सफ़र अब यादों की खुमारी हैं
माना राहें वक़्त ने बदल दी
पर कशिश दिल लगी की नूर बन गयी
इसलिए ऐ हमसफ़र
बरस रही घटोँ सी बरस रहे नयन आज हैं
तुम मेरी परछाई मैं तेरा साया था
शायद इसलिए मुकम्ल नहीं हुआ साथ हमारा
दिल चले थे संग हमारे
पर बहक गए थे कदम आते आते किनारें
बिछड़न का यह भी एक सँजोग था
बस इस रात के बाद दिन का उजाला न था
तन्हाईओं में तड़पने को जिन्दा आज भी हूँ
साँसों का तेरी बस एक यही पैगाम था
यादों के सफ़र में बिन हमसफ़र रहने के
अभिशाप का अहसास ही अब सिर्फ़ मेरे पास हैं
अब मेरे पास हैं
धड़कने आज भी तेरे साँसों की कर्जदारियाँ हैं
फ़िदा जो यह दिल कभी हो गया था
उस गुलाब का सफ़र अब यादों की खुमारी हैं
माना राहें वक़्त ने बदल दी
पर कशिश दिल लगी की नूर बन गयी
इसलिए ऐ हमसफ़र
बरस रही घटोँ सी बरस रहे नयन आज हैं
तुम मेरी परछाई मैं तेरा साया था
शायद इसलिए मुकम्ल नहीं हुआ साथ हमारा
दिल चले थे संग हमारे
पर बहक गए थे कदम आते आते किनारें
बिछड़न का यह भी एक सँजोग था
बस इस रात के बाद दिन का उजाला न था
तन्हाईओं में तड़पने को जिन्दा आज भी हूँ
साँसों का तेरी बस एक यही पैगाम था
यादों के सफ़र में बिन हमसफ़र रहने के
अभिशाप का अहसास ही अब सिर्फ़ मेरे पास हैं
अब मेरे पास हैं
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज गुरूवार (12-04-2017) को "क्या है प्यार" (चर्चा अंक-2938) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'