राज सारे जो आज खुल गए
कल कैसे फ़िर उन्हें याद करेंगे
बिन यादों की पनाह
कैसे फ़िर चाँद का दीदार करेंगे
तन्हाईओं की ग़ज़ल
कहीं महफ़िल में गुम ना हो जाये
बात दिलों के दरमियाँ की
कहीं सरेआम ना हो जाये
गुज़ारिश ज़माने से इसलिए इतनी सी हैं
कुछ राज को राज ही रहने दो
जब तलक जुड़ी हैं साँसे धड़कनों से
यादों के इन हसीन तिल्सिम में
दिल को खामोश सफ़र करने दो
दिल को सफ़र करने दो
कल कैसे फ़िर उन्हें याद करेंगे
बिन यादों की पनाह
कैसे फ़िर चाँद का दीदार करेंगे
तन्हाईओं की ग़ज़ल
कहीं महफ़िल में गुम ना हो जाये
बात दिलों के दरमियाँ की
कहीं सरेआम ना हो जाये
गुज़ारिश ज़माने से इसलिए इतनी सी हैं
कुछ राज को राज ही रहने दो
जब तलक जुड़ी हैं साँसे धड़कनों से
यादों के इन हसीन तिल्सिम में
दिल को खामोश सफ़र करने दो
दिल को सफ़र करने दो