उनकी एक हसीं से रंगों के गुलाल खिल गये
अधरों पर मानों गीत मधुर सज गये
चेहरे से नक़ाब जो सरक गया
तमस को चीर आफ़ताब खिल गये
बरसते लावण्य में भींगे सौंदर्य से
जैसे रूप अप्सरा यौवन खिल गये
देख मदहोशी की इस मधुशाला को
फिजाँ भी नशे में बल खाकर बहकने लगे
मानो वक़्त से पहले ही
चमन में सावन झूमने लगे
चमन में सावन झूमने लगे
अधरों पर मानों गीत मधुर सज गये
चेहरे से नक़ाब जो सरक गया
तमस को चीर आफ़ताब खिल गये
बरसते लावण्य में भींगे सौंदर्य से
जैसे रूप अप्सरा यौवन खिल गये
देख मदहोशी की इस मधुशाला को
फिजाँ भी नशे में बल खाकर बहकने लगे
मानो वक़्त से पहले ही
चमन में सावन झूमने लगे
चमन में सावन झूमने लगे
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (10-03-2017) को "कम्प्यूटर और इण्टरनेट" (चर्चा अंक-2905) (चर्चा अंक-2904) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'