आप की तरह नहीं मेरी लेखनी में वो धार
पर संगत में आपकी उसको भी मिलेगा निख़ार
दम दिखलायेगी यह भी फिर अपना
जब संग इसके होगा आपका साथ
ओत प्रोत हो नई प्रेरणा से
यह भी फिर कभी रचेंगी अपना इतिहास
ताल मेल का सामंजस्य जो बैठ गया
बन जायेगा यह भी फिर वरदान
स्वतः ही लेखनी को फिर मिल जायेगा
एक नई ऊर्जा का संचार
फ़िर मेरी भी हर एक रचना से होगा
मेरे एक नए भाग्य का उदयमान
पर संगत में आपकी उसको भी मिलेगा निख़ार
दम दिखलायेगी यह भी फिर अपना
जब संग इसके होगा आपका साथ
ओत प्रोत हो नई प्रेरणा से
यह भी फिर कभी रचेंगी अपना इतिहास
ताल मेल का सामंजस्य जो बैठ गया
बन जायेगा यह भी फिर वरदान
स्वतः ही लेखनी को फिर मिल जायेगा
एक नई ऊर्जा का संचार
फ़िर मेरी भी हर एक रचना से होगा
मेरे एक नए भाग्य का उदयमान
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (22-01-2018) को "आरती उतार लो, आ गया बसन्त है" (चर्चा अंक-2856) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
बसन्तपंचमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
Dear Team Book Bazooka
ReplyDeleteThanks for liking my poems.
Regards
Manoj Kayal