अक्षरों से आसमाँ रंग दूँ
शब्दों को गुंजयमान कर दूँ
प्रेरणा ऐसी बन जाऊ मैं
हर काव्य सुधा का
अमृत रस पान बन जाऊ मैं
अभिभूत कर क़ायनात को
अपनी रचना को सार्थक कर जाऊ मैं
आफ़ताब भी धरा पर उतर पड़े
स्वर लहरों पर विराजमान हो
अक्षरों के मोतियों को
पिरों शब्दों में
संगीतमय कर जाऊ जब मैं
संगीतमय कर जाऊ जब मैं
शब्दों को गुंजयमान कर दूँ
प्रेरणा ऐसी बन जाऊ मैं
हर काव्य सुधा का
अमृत रस पान बन जाऊ मैं
अभिभूत कर क़ायनात को
अपनी रचना को सार्थक कर जाऊ मैं
आफ़ताब भी धरा पर उतर पड़े
स्वर लहरों पर विराजमान हो
अक्षरों के मोतियों को
पिरों शब्दों में
संगीतमय कर जाऊ जब मैं
संगीतमय कर जाऊ जब मैं
इरादों में जोश हो तो सबकुछ संभव है
ReplyDeleteबहुत खूब
नववर्ष की मंगलकामनाएं
awosome..poem
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