आप की तरह नहीं मेरी लेखनी में वो धार
पर संगत में आपकी उसको भी मिलेगा निख़ार
दम दिखलायेगी यह भी फिर अपना
जब संग इसके होगा आपका साथ
ओत प्रोत हो नई प्रेरणा से
यह भी फिर कभी रचेंगी अपना इतिहास
ताल मेल का सामंजस्य जो बैठ गया
बन जायेगा यह भी फिर वरदान
स्वतः ही लेखनी को फिर मिल जायेगा
एक नई ऊर्जा का संचार
फ़िर मेरी भी हर एक रचना से होगा
मेरे एक नए भाग्य का उदयमान
पर संगत में आपकी उसको भी मिलेगा निख़ार
दम दिखलायेगी यह भी फिर अपना
जब संग इसके होगा आपका साथ
ओत प्रोत हो नई प्रेरणा से
यह भी फिर कभी रचेंगी अपना इतिहास
ताल मेल का सामंजस्य जो बैठ गया
बन जायेगा यह भी फिर वरदान
स्वतः ही लेखनी को फिर मिल जायेगा
एक नई ऊर्जा का संचार
फ़िर मेरी भी हर एक रचना से होगा
मेरे एक नए भाग्य का उदयमान