फुर्सत मिले कभी तो ए ख़ुदा
तुम भी पढ़ना मेरी कहानी की मोड़
छूने सपनों को बेचैन रहती थी
कभी मेरी भी अल्हड़ जिंदगानी की सोच
पर वक़्त ने समय से पहले ही काट दी थी
इनके उड़ते पतंगों की डोर
ढल गया था रक्तरंजित सा सूर्य
छिपाये क्षितिज में गुमनामी की ओट
मक़सद पास फ़िर जीने को रहा नहीं
इसलिए हिसाब तुझसे करने
लिख डाली मैंने अपनी कहानी की छोर
फुर्सत मिले कभी तो ए ख़ुदा
तुम भी पढ़ना मेरी कहानी की मोड़
तुम भी पढ़ना मेरी कहानी की मोड़
तुम भी पढ़ना मेरी कहानी की मोड़
छूने सपनों को बेचैन रहती थी
कभी मेरी भी अल्हड़ जिंदगानी की सोच
पर वक़्त ने समय से पहले ही काट दी थी
इनके उड़ते पतंगों की डोर
ढल गया था रक्तरंजित सा सूर्य
छिपाये क्षितिज में गुमनामी की ओट
मक़सद पास फ़िर जीने को रहा नहीं
इसलिए हिसाब तुझसे करने
लिख डाली मैंने अपनी कहानी की छोर
फुर्सत मिले कभी तो ए ख़ुदा
तुम भी पढ़ना मेरी कहानी की मोड़
तुम भी पढ़ना मेरी कहानी की मोड़
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