लाख जतन की हमनें इश्क़ छुपाने की
पर उनके दिए गुलाबों ने
खुश्बू चमन में ऐसी बिखरा दी
बात जो अब तलक जो दिलों की दरम्यां थी
अब वो हर महफ़िल में चर्चें ख़ास हो गयी
यारों क्या अब करे
जिन गुलाबों को बड़ी हिफाज़त से छुपा
नज़राना इश्क़ जो उन्होंने पेश किया
बिन कहे ही
रंगो ने उनके चमन को गुलज़ार कर दिया
गुलाब ने अपनी खुश्बुओं से
हमारी चाहत को भी एक नाम दे दिया
पर उनके दिए गुलाबों ने
खुश्बू चमन में ऐसी बिखरा दी
बात जो अब तलक जो दिलों की दरम्यां थी
अब वो हर महफ़िल में चर्चें ख़ास हो गयी
यारों क्या अब करे
जिन गुलाबों को बड़ी हिफाज़त से छुपा
नज़राना इश्क़ जो उन्होंने पेश किया
बिन कहे ही
रंगो ने उनके चमन को गुलज़ार कर दिया
गुलाब ने अपनी खुश्बुओं से
हमारी चाहत को भी एक नाम दे दिया
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (29-11-2017) को "कहलाना प्रणवीर" (चर्चा अंक-2802) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ख़ुशबू तो एक अदा है गुलाब की ... प्रेम की तरह बो भी कहाँ छुपाए छुपती है ...
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