अंतर्नाद का नाद हैं ये
ख़ुद से संघर्ष का रणभेदी आगाज़ हैं ये
पल प्रतिपल बदलते विचारों में
सामंजस्य पिरोने का सरोकार हैं ये
महा समर के चक्रव्ह्यु का
यह तो एक अध्याय हैं बस
संयम साधना ब्रह्मास्त्र ही
एकमात्र इस पहेली का राज हैं बस
तपोबल ज्ञान से इसके
लक्ष्य दूर नहीं होगा तब
दृष्टि भ्रम से जब विचलित ना हो पायेगा मन
इसके एकांकित ध्यान केंद्र में ही
समुचित हैं सब आस्था के फल
सब आस्था के फल
ख़ुद से संघर्ष का रणभेदी आगाज़ हैं ये
पल प्रतिपल बदलते विचारों में
सामंजस्य पिरोने का सरोकार हैं ये
महा समर के चक्रव्ह्यु का
यह तो एक अध्याय हैं बस
संयम साधना ब्रह्मास्त्र ही
एकमात्र इस पहेली का राज हैं बस
तपोबल ज्ञान से इसके
लक्ष्य दूर नहीं होगा तब
दृष्टि भ्रम से जब विचलित ना हो पायेगा मन
इसके एकांकित ध्यान केंद्र में ही
समुचित हैं सब आस्था के फल
सब आस्था के फल
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteVery niice blog you have here
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