खायी हैं चोटें बहुत इस दिल ने
खता हमारी क्या
दिल किसी का तोड़ दे
माना जज्बातों का कोई मौल नहीं
पर दिल के भँवर के आगे
इंकार पे जोर नहीं
लब मगर कह ना पाए वो जज्बात
क्योंकि मशूगल रह गया दिल
निहारने में महताब
निहारने में महताब
खता हमारी क्या
दिल किसी का तोड़ दे
माना जज्बातों का कोई मौल नहीं
पर दिल के भँवर के आगे
इंकार पे जोर नहीं
लब मगर कह ना पाए वो जज्बात
क्योंकि मशूगल रह गया दिल
निहारने में महताब
निहारने में महताब
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