उम्र तो जिंदगी की दहलीज़ का बस एक पैमाना हैं
जिन्दा रहने को साँसें भी एक बहाना हैं
संघर्ष ही इसके अंदाज का आशियाना हैं
लुफ्त तभी हैं इसे जीने का
कारवाँ बेशक गुज़र जाये उम्र का
पर बचपन आगे और बुढ़ापा पीछे चलने की क़वायद सारी हैं
राहगुजर के इस पड़ाव में
उम्र का यह अपना ही हसीन फ़साना हैं
वैराग्य के इस राग में छिपे
जिंदगी के राज
बड़े मतवाले आशिक़ हैं
गुज़र गयी जो
वो तो बस एक कहानी हैं
उम्र तो बस साँसों की गुजारिश हैं
ग़ौर ना फरमाइये उम्र के पहलू पर
जब तलक दिल से जीने की ललक बाकी हैं
उम्र के तिल्सिम पिटारे की
बस यही एक चाबी हैं
जिन्दा रहने को साँसें भी एक बहाना हैं
संघर्ष ही इसके अंदाज का आशियाना हैं
लुफ्त तभी हैं इसे जीने का
कारवाँ बेशक गुज़र जाये उम्र का
पर बचपन आगे और बुढ़ापा पीछे चलने की क़वायद सारी हैं
राहगुजर के इस पड़ाव में
उम्र का यह अपना ही हसीन फ़साना हैं
वैराग्य के इस राग में छिपे
जिंदगी के राज
बड़े मतवाले आशिक़ हैं
गुज़र गयी जो
वो तो बस एक कहानी हैं
उम्र तो बस साँसों की गुजारिश हैं
ग़ौर ना फरमाइये उम्र के पहलू पर
जब तलक दिल से जीने की ललक बाकी हैं
उम्र के तिल्सिम पिटारे की
बस यही एक चाबी हैं
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (03-09-2017) को "वक़्त के साथ दौड़ता..वक़्त" (चर्चा अंक 2716) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'