Thursday, August 24, 2017

अज़ान की दस्तक

नींद आज फ़िर उचट गयी

बातों में उनकी रात ढल गयी

जिंदगी के शोर में डूबी

रफ़्तार कुछ पल थम गयी

अज़ान की दस्तक

कहानी अधूरी छोड़ गयी

रूह की इबादत से महकी

भीनी भीनी खुश्बुएं नगमा एक नया छेड़ गयी

जाते जाते फासलों के दरम्यां  भी

जीवन रिश्ते की डोर बाँध गयी

नींद आज फ़िर उचट गयी

बातों में उनकी रात ढल गयी

नींद आज फ़िर उचट गयी 



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