राहें कुछ ऐसे गुम हो गयी
तन्हा चलते चलते मंजिल भटक गयी
पगडंडी भी कांटो का झाड़ बन गयी
अजनबी सी मानो पहचान बन गयी
चौराहों में चौराहों की जैसे राह सज गयी
कदम जिस ओर चले
तक़दीर वो राह भटक गयी
राहों की भूलभुलैया ने कायनात बदल दी
आती जाती मुड़ती राहों ने
सपनों के सौदागर की राह बदल दी
तन्हाइयों के आलम में
राहें कुछ ऐसे गुम हो गयी
ज़िंदगी खुद से अंजान हो गयी
तन्हा चलते चलते मंजिल भटक गयी
पगडंडी भी कांटो का झाड़ बन गयी
अजनबी सी मानो पहचान बन गयी
चौराहों में चौराहों की जैसे राह सज गयी
कदम जिस ओर चले
तक़दीर वो राह भटक गयी
राहों की भूलभुलैया ने कायनात बदल दी
आती जाती मुड़ती राहों ने
सपनों के सौदागर की राह बदल दी
तन्हाइयों के आलम में
राहें कुछ ऐसे गुम हो गयी
ज़िंदगी खुद से अंजान हो गयी
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