ना मैं छंद पढ़ता हूँ
ना व्यंग पढ़ता हूँ
मैं तो सिर्फ़
चहरे पे लिखी लकीरें पढ़ता हूँ
हर एक रचना की
बख़ूबी ताबीर पढ़ता हूँ
तामील करता हूँ
शामिल रहे इसमें हर वो इबादत
लिखी आयतें जिसमें
सिर्फ़ ख़ुदा के नाम की हो
यारों मैं तो फकीरों की तरह
लकीरों में भी बस दुआओं का असर टटोलता हूँ
मैं तो सिर्फ़
चहरे पे लिखी लकीरें पढ़ता हूँ
ना व्यंग पढ़ता हूँ
मैं तो सिर्फ़
चहरे पे लिखी लकीरें पढ़ता हूँ
हर एक रचना की
बख़ूबी ताबीर पढ़ता हूँ
तामील करता हूँ
शामिल रहे इसमें हर वो इबादत
लिखी आयतें जिसमें
सिर्फ़ ख़ुदा के नाम की हो
यारों मैं तो फकीरों की तरह
लकीरों में भी बस दुआओं का असर टटोलता हूँ
मैं तो सिर्फ़
चहरे पे लिखी लकीरें पढ़ता हूँ
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