दुनिया कहती है तू निराकार हैं
पर मैं कहता हूँ मेरा हृदय ही तेरा आकार हैं
अहंकार नहीं यह जज्बात हैं
क्योंकि इसकी धड़कनों में
तेरी ही रूह का बास हैं
आत्मा से परमात्मा के मिलन का
यही एक सच्चा मार्ग हैं
ना मैं तपस्वी हूँ
ना ही मैं दानी हूँ
फिर भी संयम बल से ज्ञानी हूँ
इसीलिये
विधमान हैं तू इस दिल में
इस ज्ञान से मैं भी वाकिफ़ हूँ
पर मैं कहता हूँ मेरा हृदय ही तेरा आकार हैं
अहंकार नहीं यह जज्बात हैं
क्योंकि इसकी धड़कनों में
तेरी ही रूह का बास हैं
आत्मा से परमात्मा के मिलन का
यही एक सच्चा मार्ग हैं
ना मैं तपस्वी हूँ
ना ही मैं दानी हूँ
फिर भी संयम बल से ज्ञानी हूँ
इसीलिये
विधमान हैं तू इस दिल में
इस ज्ञान से मैं भी वाकिफ़ हूँ