मुझको तेरे शहर की हवा लग गयी
गली गली चर्चा यह आम हो गयी
बदनामी इसमें फिर कैसी
बस मेरे इश्क़ कि आगाज़ सरेआम हो गयी
मुझको तेरे शहर की हवा लग गयी
नक़ाब तेरा रुख से उड़ा हवा जो अपने साथ ले गयी
नजरें तेरी दिल मेरा अपने साथ ले गयी
गली गली चर्चा यह आम हो गयी
मुझको तेरे शहर की हवा लग गयी
तेरे मोहल्ले की गालियाँ मेरी पनाहगार बन गयी
फ़ासले तेरे मेरे दरमियाँ कही खो गयी
गली गली चर्चा यह आम हो गयी
मुझको तेरे शहर की हवा लग गयी
गली गली चर्चा यह आम हो गयी
बदनामी इसमें फिर कैसी
बस मेरे इश्क़ कि आगाज़ सरेआम हो गयी
मुझको तेरे शहर की हवा लग गयी
नक़ाब तेरा रुख से उड़ा हवा जो अपने साथ ले गयी
नजरें तेरी दिल मेरा अपने साथ ले गयी
गली गली चर्चा यह आम हो गयी
मुझको तेरे शहर की हवा लग गयी
तेरे मोहल्ले की गालियाँ मेरी पनाहगार बन गयी
फ़ासले तेरे मेरे दरमियाँ कही खो गयी
गली गली चर्चा यह आम हो गयी
मुझको तेरे शहर की हवा लग गयी
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 09-02-2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2591 में दिया जाएग्या
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबाग भाई
Deleteरचना लिंक करने के लिए धन्यवाद्
सादर
मनोज