उम्र ना पूछ ए हबीबी
बचपन संग जीना अभी बाकी हैं
जवानी की दहलीज़ में फ़ासले
दो चार क़दमों के अभी बाकी हैं
जिंदादिली की मिशाल ही
उम्र के हर पड़ाव के लिए काफ़ी हैं
सँवरती हैं खिलखिलाती सी हँसी
यहाँ तभी
राज इसके उम्र पे जब भारी हैं
जी भर जी लेने दे अभी
ए हबीबी
इस उम्र की तारीख़ अभी बाकी हैं
इस उम्र की तारीख़ अभी बाकी हैं
बचपन संग जीना अभी बाकी हैं
जवानी की दहलीज़ में फ़ासले
दो चार क़दमों के अभी बाकी हैं
जिंदादिली की मिशाल ही
उम्र के हर पड़ाव के लिए काफ़ी हैं
सँवरती हैं खिलखिलाती सी हँसी
यहाँ तभी
राज इसके उम्र पे जब भारी हैं
जी भर जी लेने दे अभी
ए हबीबी
इस उम्र की तारीख़ अभी बाकी हैं
इस उम्र की तारीख़ अभी बाकी हैं
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज रविवार (22-01-2017) को "क्या हम सब कुछ बांटेंगे" (चर्चा अंक-2583) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
शास्त्री जी
Deleteधन्यवाद्
सादर
मनोज