लफ़्ज उनके थे लव मेरे थे
रुमानियत भरी वो शाम थी
चाँद जमीं पे उतर आया था जैसे
हर तरफ़ सिर्फ़ चाँदनी की ही सौग़ात थी
बिन कहे उस पल वो सब कह गयी
लवों पे मेरे लफ़्ज अपने छोड़ गयी
लवों से लफ़्ज़ों का मिलन हुआ इस कदर
ना अब मैं था ना कोई दूजी कहानी थी
हर महफ़िल की रौनक
बस मेरे लवों पे सजी
उनके ही लफ्जों की बौछार थी
उनके ही लफ्जों की बौछार थी
रुमानियत भरी वो शाम थी
चाँद जमीं पे उतर आया था जैसे
हर तरफ़ सिर्फ़ चाँदनी की ही सौग़ात थी
बिन कहे उस पल वो सब कह गयी
लवों पे मेरे लफ़्ज अपने छोड़ गयी
लवों से लफ़्ज़ों का मिलन हुआ इस कदर
ना अब मैं था ना कोई दूजी कहानी थी
हर महफ़िल की रौनक
बस मेरे लवों पे सजी
उनके ही लफ्जों की बौछार थी
उनके ही लफ्जों की बौछार थी
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