Saturday, January 7, 2017

छोटे से अरमान

छोटे छोटे अरमानों की धूप समेटे

धुंध को चीर बिखर रही

कई नई तेजस ओजस्वी किरणें

सफर के इस शिखर को चूमने

बेताब हो रही जाने कितनी ही किरणें

बाँध रखें थे अब तलक

जिन अरमानों के हाथ

पंख लगा दिए उन्हें

बदलते मौसम की बयार

सजाये अनगिनत अरमानों की बारात

निखर आयी इंद्रधनुषी किरणें

उमड़ते बादलों के दरम्यान

उमड़ते बादलों के दरम्यान

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (08-01-2017) को "पढ़ना-लिखना मजबूरी है" (चर्चा अंक-2577) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    नववर्ष 2017 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete