आयतें पढ़ूँ अब किसी ओर के लिए कैसे
कायनात थी वो जो इस जिंदगानी की
हारी थी दिल की बाजी उनके लिए
बदल वो रूह की तारुफ़ हमारी
ख़ुद बदल गए किसी ओर के लिए
लड़े थे जिस खुदा से इनके लिए
फ़रियाद करूँ अब उनसे कैसे
दिल ए कोई तिल्सिम का पिटारा नहीं
हर मर्ज का इलाज इसके पास भी नहीं
अब तो बस यादों के मक़बरे पे लिखी
कायनात थी वो जो इस जिंदगानी की
हारी थी दिल की बाजी उनके लिए
बदल वो रूह की तारुफ़ हमारी
ख़ुद बदल गए किसी ओर के लिए
लड़े थे जिस खुदा से इनके लिए
फ़रियाद करूँ अब उनसे कैसे
दिल ए कोई तिल्सिम का पिटारा नहीं
हर मर्ज का इलाज इसके पास भी नहीं
अब तो बस यादों के मक़बरे पे लिखी
आयतों का ही साथ हैं
नजरें इनयातें तो सुपुर्दे ख़ाक हैं
नजरें इनयातें तो सुपुर्दे ख़ाक हैं
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