ए जिंदगी बिन धड़कन तूने जीना सीख लिया
दर्द को ही तूने धड़कन बना लिया
रूबरू ए जिंदगी तू जब काँची दिल से हुई
खो धड़कनों को जिन्दा लाश तू बन गयी
और उन बिलखती साँसों को
सजा ए ऐतबार
मौत से भी महरूम कर गयी
मौत से भी महरूम कर गयी
दर्द को ही तूने धड़कन बना लिया
रूबरू ए जिंदगी तू जब काँची दिल से हुई
खो धड़कनों को जिन्दा लाश तू बन गयी
और उन बिलखती साँसों को
सजा ए ऐतबार
मौत से भी महरूम कर गयी
मौत से भी महरूम कर गयी
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