तस्वीर मेरी अधूरी थी
रंगों की तेरी उसमें कमी थी
दर्पण भी नजरें चुरा लेता था
आज़माता खुद को
उसके सामने जब मैं
फिर भी
ढूंढता फिरा हर उस सुहाने पल को
कभी तो
रंग लूँ तस्वीर अपनी तेरे रंगों से मैं
खोया रह गया बस इसी धुन मैं
चुपके से चुरा कोई ओर ले गया
ढ़ाल तेरे रंगों को अपने रंग में
ढ़ाल तेरे रंगों को अपने रंग में
रंगों की तेरी उसमें कमी थी
दर्पण भी नजरें चुरा लेता था
आज़माता खुद को
उसके सामने जब मैं
फिर भी
ढूंढता फिरा हर उस सुहाने पल को
कभी तो
रंग लूँ तस्वीर अपनी तेरे रंगों से मैं
खोया रह गया बस इसी धुन मैं
चुपके से चुरा कोई ओर ले गया
ढ़ाल तेरे रंगों को अपने रंग में
ढ़ाल तेरे रंगों को अपने रंग में
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