कुदरत कैसी हैं तेरी माया
हर तरफ़ उसका ही हैं साया
क्या खबर उस दिल को
इस घरौंदे में
नशा उसका ही हैं छाया
हर मोड़ मिल जाती उसकी ही छाया
बिन कहे ही वो करीब चला हैं आया
ए खुदा कैसी तेरी हैं यह माया
दिल की इस बंजर जमीं को
तूने ही खिलखिलाना हैं सिखलाया
हर तरफ़ उसका ही हैं साया
क्या खबर उस दिल को
इस घरौंदे में
नशा उसका ही हैं छाया
हर मोड़ मिल जाती उसकी ही छाया
बिन कहे ही वो करीब चला हैं आया
ए खुदा कैसी तेरी हैं यह माया
दिल की इस बंजर जमीं को
तूने ही खिलखिलाना हैं सिखलाया
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