आईना देखकर जीना हम सीख गए
इन आँखों में चेहरा आपका देखकर
मुस्कराना हम सीख गए
लिखी थी आयतें दिल ने जो प्यार की
रूबरू करा गयी आईना ईबादत आपकी
उम्र लंबी थी मुलाक़ात की इस शाम की
आईना रो पड़ा आपने जब आवाज़ दी
तड़प के दिल ने कहा चली आ ए मौशिकी
तोड़ के ए रश्मे चली आ गली प्यार की
क्यूँ पता आपका अब आईने से पुछूं
नूर आपका अब अपनी आँखों में पढ़ूँ
उम्र लंबी हो इस प्यार की
आईना भी मुस्करा पड़े
देख नजरें ईनायत आपकी
इन आँखों में चेहरा आपका देखकर
मुस्कराना हम सीख गए
लिखी थी आयतें दिल ने जो प्यार की
रूबरू करा गयी आईना ईबादत आपकी
उम्र लंबी थी मुलाक़ात की इस शाम की
आईना रो पड़ा आपने जब आवाज़ दी
तड़प के दिल ने कहा चली आ ए मौशिकी
तोड़ के ए रश्मे चली आ गली प्यार की
क्यूँ पता आपका अब आईने से पुछूं
नूर आपका अब अपनी आँखों में पढ़ूँ
उम्र लंबी हो इस प्यार की
आईना भी मुस्करा पड़े
देख नजरें ईनायत आपकी