सब जज्बातों की बात है
फ़िर अँधेरी रात है
सब जज्बातों की बात है
कही प्रेम तो कही कपटी चाल है
उड़ाता मख़ौल बचपन की वो बात है
वक़्त के साथ बदल गयी जज्बातों की बारात है
ना अब वो चाँद महफिले शान है
ना ही ग़ज़लों में वो रूमानी अंदाज़ है
बस कुछ पल का याराना
सब जज्बातों की बात है
बदल गयी अब वक़्त की रफ़्तार है
खुशफ़हमी के आलम में जीने को
मजबूर आज हालात है
सब जज्बातों की बात है
शास्त्री जी
ReplyDeleteशुक्रिया
सादर
मनोज