सफ़र के इस पड़ाव में
खड़ा हूँ मुक़ाम की जिस दहलीज़ पर
राह यह आसान ना थी
मंजिल फ़िर भी मगर पास ना थी
टूटे अरमानों में साँस अभी बाकी थी
क्योंकि सफरनामे की इस गाथा में
दिलचस्प वृतांत अभी आनी बाकी थी
शायद इसीलिए
उम्मीदों की किरणों में आस अभी बाकी थी
बिखरें जज्बातों की इस कहानी में
अठखेलियाँ करते बचपन की निशानी अभी बाकी थी
वक़्त के गर्त में समा ना जाये ए अधूरी कहानी
इसलिए ताबीर जिंदगानी की अभी बाकी थी
ताबीर जिंदगानी की अभी बाकी थी
खड़ा हूँ मुक़ाम की जिस दहलीज़ पर
राह यह आसान ना थी
मंजिल फ़िर भी मगर पास ना थी
टूटे अरमानों में साँस अभी बाकी थी
क्योंकि सफरनामे की इस गाथा में
दिलचस्प वृतांत अभी आनी बाकी थी
शायद इसीलिए
उम्मीदों की किरणों में आस अभी बाकी थी
बिखरें जज्बातों की इस कहानी में
अठखेलियाँ करते बचपन की निशानी अभी बाकी थी
वक़्त के गर्त में समा ना जाये ए अधूरी कहानी
इसलिए ताबीर जिंदगानी की अभी बाकी थी
ताबीर जिंदगानी की अभी बाकी थी
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