जिन्दगी तू पलट के देखती क्यों नहीं
गुजरे लम्हों को समेटती क्यों नहीं
माना यादें वो रुलाती हैं
पर कोई लम्हा ऐसा भी था
जो सिर्फ और सिर्फ मेरा था
सिमट जाये ए यादों के पन्नों में
पहले इसके
ए जिंदगी उस पल के झरोखें से
एक बार फिर बचपन का अहसास करादे
जो लम्हा मेरा था
एक बार फिर उससे मिला दे
एक बार फिर उससे मिला दे
गुजरे लम्हों को समेटती क्यों नहीं
माना यादें वो रुलाती हैं
पर कोई लम्हा ऐसा भी था
जो सिर्फ और सिर्फ मेरा था
सिमट जाये ए यादों के पन्नों में
पहले इसके
ए जिंदगी उस पल के झरोखें से
एक बार फिर बचपन का अहसास करादे
जो लम्हा मेरा था
एक बार फिर उससे मिला दे
एक बार फिर उससे मिला दे