कहानी मेरी भी औरों से जुदा ना थी
शतरंज की बिसात पे जैसे जिंदगी सजी थी
एक अदना सा मोहरा था मैं उस चाल का
लगाम जिसकी थी दिग्गजों के हाथ में
पर वर्चस्व के इस समर में
कुरुक्षेत्र की रणनीति अभी आनी थी
मगर चूक गयी गर्दन तलवार की धार से
ओर पलट दी बाजी मोहरे ने धीमी चाल से
मात खा गया बादशाह एक सिपहसालार से
छोड़ जीत के जश्न को मध्य मार्ग में
मोहरे ने फिर बैठा दिया बादशाह को तख्तों ताज पे
ओर राज हो गया मोहरे का सबके दिलों दिमाग पे
पर राजनीति के इस द्वन्द में
फिर भी मैं हार गया अपनों के हाथों जीत के
अपनों के हाथों जीत के
शतरंज की बिसात पे जैसे जिंदगी सजी थी
एक अदना सा मोहरा था मैं उस चाल का
लगाम जिसकी थी दिग्गजों के हाथ में
पर वर्चस्व के इस समर में
कुरुक्षेत्र की रणनीति अभी आनी थी
मगर चूक गयी गर्दन तलवार की धार से
ओर पलट दी बाजी मोहरे ने धीमी चाल से
मात खा गया बादशाह एक सिपहसालार से
छोड़ जीत के जश्न को मध्य मार्ग में
मोहरे ने फिर बैठा दिया बादशाह को तख्तों ताज पे
ओर राज हो गया मोहरे का सबके दिलों दिमाग पे
पर राजनीति के इस द्वन्द में
फिर भी मैं हार गया अपनों के हाथों जीत के
अपनों के हाथों जीत के